
भिवाड़ी: औद्योगिक नगरी भिवाडी में लोगो की प्यास बुझाने के लिए 76.42 करोड़ रुपए खर्च किए हो, लेकिन अधिकारियो की अनदेखी के चलते आज भी पानी की आपूर्ति नही हो पाई है।Haryana News: एक लाख से अधिक शिक्षकों का वेतन अटका, जानिए क्या है वजय
सबसे अहम बात तो यह है प्रोजेक्ट के नौ साल बीत चुके हैं, आमजन को अभी तक सरकारी नल से पानी नहीं पहुंचा है।
बता दे कि एनसीआरपीबी और राज्य सरकार की ओर से क्षेत्र के 19 गांव तक पानी पहुंचाने के लिए 60.64 करोड़ रुपए स्वीकृत किए गए थे। इसके साथ ही अमृत योजना में 15.78 करोड़ रुपए जारी हुए थे। एनसीआरपीबी का प्रोजेक्ट 25 अक्टूबर 2013 को स्वीकृत हुआ।
2018 तक होना था कार्य: काम शुरू होने के आदेश 21 मार्च 2016 को हुए। 21 मार्च 2018 तक काम पूरा होना था। इसी तरह अमृत योजना का काम 31 मार्च 2017 को शुरू हुआ, यह प्रोजेक्ट भी शुरू होने के बाद दो साल की अवधि में 31 मार्च 2019 तक पूरा होना था लेकिन दोनों ही योजनाएं अधर में लटकी हुई है।
जनता अभी भी पेयजल के लिए खुद के संसाधनों पर निर्भर है। कुछ क्षेत्र में जरूर जलापूर्ति शुरू हुई है। सरकारी प्रोजेक्ट में देरी होने की वजह से लोगों को मजबूरी में खुद ही बोरिंग करानी पड़ रही है।
पेयजल आपूर्ति का यह प्रोजेक्ट भिवाड़ी की 2044 की आबादी को ध्यान में रखते हुए 176573 लोगों की जरूरत के हिसाब से बनाया गया था। इतनी आबादी को हर रोज 135 लीटर पानी उपलब्ध कराने का लक्ष्य था।
पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के गिरफ्तारी के आदेश, बनी तनाव की स्थिति
इन गांवो को मिलना था फायदा: प्रोजेक्ट में रामपुरा मुंडाना, शाहड़ौद, सांथलका, हरचंदपुर, खिदरपुर, बिलाहेड़ी, गोधान, कहरानी, खिजूरीबास, उदयपुर, खानपुर, मिलकपुर, भिवाड़ी गांव, नंगलिया, आलमपुर, सैदपुर और आवासन मंडल के सेक्टर में टंकियों का निर्माण होना था। 16 टंकियों का निर्माण हो चुका है, जिसमें से एक टंकी गिर चुकी है
योजना के तहत 19 गांव में 18 आकाशीय टंकी, पंप हाउस, पानी की पाइप लाइन बिछाने और घरों में कनेक्शन के काम होने हैं। यह काम वर्मिंटन पेज इंडिया लिमिटेड (डब्ल्य्ूापीआईएल) कंपनी को करना था। वहीं मीटर लगाने, पाइप लाइन बिछाने सहित अन्य काम अमृत योजना के तहत इंडिया होम पाइप कंपनी (आईएचपी) को करने हैं।
क्या कहते है अधिकारी: कुछ सेक्टर और गांव में जलापूर्ति शुरू कराई गई है। प्रोजेक्ट को जल्द पूरा करने के प्रयास किए जा रहे हैं। केंद्र और राज्य की योजना है, दोनों स्तर पर ही मामले की निगरानी चल रही है।
विकास मीना, एक्सईएन, पीएचईडी